छठ पूजा : न भेदभाव, न छुआछूत, न हीं दंगा -फसाद का पर्व।

एक ऐसा त्योहार जो चार दिन चलता है।

छठ पूजा

लेकिन इसमें कोई दंगा नहीं होता, इंटरनेट कनेक्शन नहीं काटा जाता, किसी शांति समिति की बैठक कराने की ज़रूरत नहीं पड़ती, प्रशासन की आवश्यकता नहीं होता, चंदे के नाम पर गुंडा गर्दी नहीं होती और ज़बरन उगाही भी नहीं होती। मधुशाला की दुकानें बंद रखने का नोटिस नहीं चिपकाना पड़ता, मिठाई के नाम पर मिलावट नहीं परोसी जाती है। ऊंच नीच का भेद नहीं होता, व्यक्ति / धर्म विशेष के जयकारे नहीं लगते, किसी से अनुदान और अनुकम्पा की अपेक्षा नहीं रहती है, राजा-रंक एक कतार में खड़े होते है, समझ से परे रहने वाले मंत्रों का उच्चारण भी नहीं होता और पंडितों को दान दक्षिणा का भी इसमें रिवाज़ नहीं है, स्वच्छता के किसी को कहने की जरूरत नहीं पड़ती

प्रकृति के इस महापर्व छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं 🌅🌞

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